🔄 कंपनियाँ अपने पास मौजूद Extra Cash को कई तरीकों से इस्तेमाल करती हैं — जैसे बिजनेस एक्सपैंशन, डेब्ट रिडक्शन, या शेयरधारकों को रिटर्न देने के लिए। जब कंपनी अपने शेयरों को वापस खरीदती है, तो इसे Share Buyback या शेयर पुनर्खरीद कहते हैं।
शेयर पुनर्खरीद क्या होती है?
जब कंपनी अपने खुद के जारी किए गए शेयरों को बाजार या शेयरधारकों से वापस खरीदती है, तो वह Share Buyback कहलाता है। इस प्रक्रिया से कंपनी की कुल शेयर संख्या कम हो जाती है, जिससे प्रति शेयर की वैल्यू और प्रति शेयर आय (EPS) बढ़ सकती है।
शेयर पुनर्खरीद के उद्देश्य
कंपनियाँ शेयरों की पुनर्खरीद कई कारणों से करती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
Undervalued Stock Price: अगर कंपनी का स्टॉक मार्केट में कम कीमत पर ट्रेड हो रहा हो, तो पुनर्खरीद से स्टॉक की कीमत बढ़ सकती है।
Excess Cash: कंपनी के पास अतिरिक्त नकदी होती है लेकिन लाभदायक इन्वेस्टमेंट ऑपर्चुनिटी नहीं होती।
Confidence Signal: निवेशकों को भरोसा दिलाने के लिए कि कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत है।
Defense Strategy: संभावित अधिग्रहण (Takeover) के खिलाफ रक्षा के तौर पर।
Reduce Equity & Increase Leverage: इक्विटी कम करके कंपनी के फाइनेंसियल लेवरेज को बढ़ाना।
ESOP Impact Mitigation: कर्मचारी स्टॉक ऑप्शन योजना (ESOP) के कारण प्रमोटरों की हिस्सेदारी में कमी को कम करना।
शेयर पुनर्खरीद कैसे होती है?
कंपनी को Available Reserves और Surplus से ही शेयर खरीदने का अधिकार होता है।
पुनर्खरीद के लिए कंपनी को एक Special Resolution पास करना होता है जिसमें Maximum Buyback Price और Time Frame निर्धारित होते हैं।
शेयर पुनर्खरीद Tender Offer, Open Market, या Proportional Basis पर किया जा सकता है।
शेयर पुनर्खरीद के फायदे
EPS (Earnings Per Share) में वृद्धि होती है क्योंकि कुल शेयर कम हो जाते हैं।
निवेशकों को प्रति शेयर अधिक लाभांश (Dividend) मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
स्टॉक का मार्केट प्राइस बढ़ सकता है, जिससे शेयरधारकों का मार्केट वैल्यू भी बढ़ता है।
कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का सकारात्मक सिग्नल मिलता है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें
कंपनी को Non-Default होना चाहिए, अर्थात वह अपने डिबेंचर, डिपॉजिट, प्रेफरेंस शेयर और लाभांश के भुगतान में डिफॉल्ट नहीं कर रही हो।
पुनर्खरीद के बाद वापस लिए गए शेयरों को समाप्त कर दिया जाता है, जिससे कंपनी की Share Capital कम हो जाती है।
प्रबंधन की मंशा हमेशा स्पष्ट नहीं होती; इसलिए निवेशकों को सावधानी से स्थिति का मूल्यांकन करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
Share Buyback एक प्रभावी वित्तीय रणनीति है जो कंपनी के नकदी प्रवाह, शेयरधारकों के रिटर्न और बाजार मूल्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। सही समय पर और सही कारणों से की गई शेयर पुनर्खरीद कंपनी के विकास और निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देती है।
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