आज के Digital युग में ज़्यादातर चीज़ें ऑनलाइन होती जा रही हैं – और निवेश की दुनिया भी इससे अछूती नहीं रही। पहले जहां Shares या Debentures जैसी Securities को हम हाथ में पकड़ सकते थे (Physical Form), अब वही चीज़ें Demat Account में सिर्फ बुक एंट्री (Book Entry) के रूप में दिखती हैं।
इस ब्लॉग में हम दो बेहद जरूरी Concepts को समझेंगे:
✅ Dematerialisation (विभौतिकीकरण)
✅ Rematerialisation (पुनर्भौतिकीकरण)
इन दोनों का संबंध आपके शेयरों के "रूप" से है – भौतिक से इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रॉनिक से वापस भौतिक।
📦 1. क्या होता है Dematerialisation (DMAT)?
Dematerialisation का मतलब है — आपके पास जो भी Physical Shares हैं (जैसे पुराने जमाने के सर्टिफिकेट्स), उन्हें Digital Format यानी Demat Account में Convert करना।
💡 उदाहरण:
मान लीजिए आपके दादाजी के पास Reliance के 100 shares हैं जो पुराने शेयर सर्टिफिकेट के रूप में हैं। अगर आप इन्हें आज बेचकर मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो पहले आपको इन्हें Dematerialise करना होगा यानी उन्हें अपने Demat खाते में लाना होगा।
🛠️ कैसे काम करता है Demat Process?
आप एक Depository Participant (DP) जैसे Zerodha, Groww या ICICI Direct के पास जाते हैं।
एक Demat Account खोलते हैं।
एक Demat Request Form (DRF) भरते हैं और अपने Physical Share Certificates जमा करते हैं।
आपके शेयर NSDL या CDSL जैसी Depositories में बुक एंट्री फॉर्म में कन्वर्ट हो जाते हैं।
📌 Key Points:
Dematerialised Securities में कोई Certificate Number या Folio Number नहीं होता।
Shares अब डिजिटल फॉर्म में होते हैं — फिजिकल नुकसान या चोरी का रिस्क खत्म।
Trading और Settlement काफी तेज़ और Safe हो जाता है।
🧾 SEBI नियम:
SEBI ने यह अनिवार्य कर दिया है कि IPO करने वाली कोई भी कंपनी अपने Shares को Demat में Convert करने का विकल्प दे।
📜 2. क्या होता है Rematerialisation (REMAT)?
Rematerialisation इसका उल्टा है – यानी आपने जो Shares पहले Demat में डाले थे, उन्हें वापस Physical Form में लेना।
🤔 क्यों कोई ऐसा करना चाहेगा?
अगर आप डिजिटल फॉर्म से Comfort नहीं रखते।
आप Shares को Family के नाम से Transfer करना चाहते हैं और Physical Ownership दिखाना ज़रूरी है।
कभी-कभी कुछ Investors को पारंपरिक तरीके से Holding पसंद होती है।
🛠️ कैसे काम करता है REMAT Process?
अपने DP के पास जाकर एक Remat Request Form (RRF) भरें।
DP आपकी Request Depository को भेजता है।
Company को निर्देश भेजे जाते हैं कि वह आपको Physical Share Certificate इशू करे।
आपको कुछ हफ्तों में Physical Certificates मिल जाते हैं।
📌 Key Points:
Rematerialised shares के साथ Certificate Number और अन्य डिटेल्स होती हैं।
Trading करने से पहले आपको इन्हें फिर से Demat करना होगा।
🔄 DMAT vs REMAT: Comparison Table
| Feature | Dematerialisation | Rematerialisation |
|---|---|---|
उद्देश्य | Physical to Digital | Digital to Physical |
फॉर्म | Electronic (Book-entry) | Paper Certificate |
सुविधा | तेज़, सुरक्षित, आसान | धीरे, Paper-based |
आवश्यकता | Trading, Fast Settlement | Physical Record, Transfer |
प्रक्रिया | DRF के ज़रिए | RRF के ज़रिए |
🛑 ध्यान देने योग्य बातें:
अगर आपके पास अभी भी कोई पुराना Physical Share Certificate है, तो उसे जल्द से जल्द DMAT करवाएं — क्योंकि SEBI के नियमों के अनुसार बिना Demat के आप Trading नहीं कर सकते।
REMAT का उपयोग Rare Situations में ही किया जाता है, और इसमें समय ज्यादा लगता है।
Demat Accounts में रखे गए Shares से आप Pledge, Loan Against Securities, और Online Trading जैसी सुविधाएं भी उठा सकते हैं।
📘 निष्कर्ष (Conclusion):
आज की तेजी से बदलती Financial दुनिया में Dematerialisation ने निवेशकों को एक नई सहूलियत दी है – जिससे वे आसानी से, तेज़ी से और सुरक्षित तरीके से ट्रेडिंग कर सकते हैं। लेकिन कुछ Investors के लिए Rematerialisation भी एक विकल्प हो सकता है, जो Physical Holding पसंद करते हैं।
📣 क्या आपके पास अब भी कोई Physical Share Certificate है?
अब समय है – डिजिटल दुनिया में कदम रखने का!