Market Price per Share / Earnings Per Share — निवेश में इसका क्या महत्व है?

परिचय:

शेयर बाजार में निवेश करते समय हम कई आँकड़े और अनुपात (Ratios) देखते हैं ताकि यह तय कर सकें कि कोई शेयर सस्ता है या महँगा।
इनमें एक बहुत ही महत्वपूर्ण अनुपात है:

📊 Market Price per Share / Earnings Per Share

इसे हम Price to Earnings Ratio (P/E Ratio) भी कहते हैं।
यह अनुपात हमें बताता है कि कोई निवेशक कंपनी की एक रुपये की कमाई के लिए कितना भुगतान करने को तैयार है


सबसे पहले समझें ये दोनों शब्द:

1️⃣ Market Price per Share (प्रति शेयर बाजार मूल्य):

यह वह कीमत है जिस पर कंपनी का एक शेयर बाजार में ट्रेड हो रहा होता है।

2️⃣ Earnings Per Share (EPS – प्रति शेयर आय):

यह बताता है कि कंपनी ने प्रति शेयर कितना मुनाफा कमाया है।


फॉर्मूला:

Market Price per Share / Earnings Per Share = P/E Ratio

उदाहरण के लिए:

  • यदि किसी कंपनी का Market Price per Share = ₹300

  • और उसका EPS = ₹15

तो:

P/E Ratio = 300 ÷ 15 = 20

इसका मतलब है कि निवेशक कंपनी की ₹1 की कमाई के लिए ₹20 देने को तैयार हैं।


इस अनुपात का क्या महत्व है?

बिंदु विवरण

वैल्यूएशन समझने में सहायक

यह बताता है कि शेयर महँगा है या सस्ता।

भविष्य की उम्मीद का संकेत

ज्यादा अनुपात होने का मतलब है कि निवेशक कंपनी की ग्रोथ को लेकर आशावादी हैं।

सेक्टर तुलना

एक ही उद्योग की कंपनियों के अनुपात की तुलना करके बेहतर निर्णय लिया जा सकता है।

कम अनुपात = संभावित अवसर

यदि किसी कंपनी का अनुपात कम है और बाकी चीजें मजबूत हैं, तो यह निवेश का अच्छा अवसर हो सकता है।


कब सावधान रहें?

  • अगर किसी कंपनी का अनुपात बहुत ज्यादा है लेकिन कमाई नहीं बढ़ रही, तो यह संकेत हो सकता है कि शेयर ओवरवैल्यू है।

  • सिर्फ इसी अनुपात पर भरोसा न करें — कंपनी की बैलेंस शीट, डेब्ट, बिजनेस मॉडल, और इंडस्ट्री ट्रेंड को भी देखें।


निष्कर्ष:

Market Price per Share / EPS एक सीधा और प्रभावी तरीका है किसी शेयर की वैल्यू को आंकने का।
यह अनुपात जितना आपको समझ में आता है, उतना ही आप स्मार्ट और सफल निवेश निर्णय ले सकते हैं।


क्या आपने कभी P/E Ratio के आधार पर कोई स्टॉक चुना है? नीचे कमेंट करें और इस जानकारी को शेयर करें ताकि दूसरे निवेशकों को भी फायदा हो।

Post a Comment

Previous Post Next Post