📈 कीमतें क्यों बढ़ती हैं? और ब्याज दरों का इससे क्या संबंध है?
अक्सर हम सुनते हैं – "सब कुछ महँगा हो गया है!"
लेकिन महँगाई यानी Inflation क्या सच में सिर्फ एक शिकायत है या National Income और Economic Policies से गहराई से जुड़ा हुआ आर्थिक संकेतक?
इस ब्लॉग में हम जानेंगे:
Inflation क्या है?
इसे कैसे मापा जाता है? (CPI और WPI)
Interest Rate से इसका क्या संबंध है?
और कैसे ये दोनों मिलकर अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं।
💸 What is Inflation?
Inflation वह स्थिति है जब एक Economy में Goods और Services के Price Level में सामान्य वृद्धि होती है। इससे क्या होता है?
➡️ पैसे की Purchasing Power घट जाती है।
उदाहरण के लिए:
अगर आज ₹1000 में आप 10 चीज़ें खरीद सकते हैं, तो एक साल बाद उसी ₹1000 से सिर्फ 8 चीज़ें मिलेंगी। यही है मुद्रास्फीति का असर।
📊 How is Inflation Measured?
Inflation को मापने के दो प्रमुख तरीके हैं:
🔹 Consumer Price Index (CPI):
आम उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की टोकरी की कीमतों पर आधारित।
Retail Level पर Price Changes मापता है।
यह आम नागरिकों के जीवन यापन खर्च का संकेतक है।
🔹 Wholesale Price Index (WPI):
थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतें मापता है।
Producers और Traders के दृष्टिकोण से।
👉 Policy-making और Monetary Planning में अब CPI को ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि यह आम जनता को सीधा प्रभावित करता है।
🔺 Types of Inflation
Demand-pull Inflation:
जब Demand > Supply
➡️ Price बढ़ता हैCost-push Inflation:
जब Input Cost (जैसे Oil, Labour) बढ़ती है
➡️ Final Product की Cost बढ़ती है
🏦 Interest Rates और Inflation का संबंध
Interest Rate और Inflation एक-दूसरे से गहरे जुड़े हैं:
🔼 High Inflation → High Interest Rates:
लोग अधिक Return चाहते हैं ताकि उनकी बचत की "Real Value" बनी रहे।
इससे Saving बढ़ती है और Consumption घटता है।
Demand कम होती है → Inflation नीचे आता है।
🔻 High Interest Rate → Low Investment:
Loans महंगे हो जाते हैं
Real Estate, Auto जैसे Sectors में Slowdown
GDP Growth पर असर
📌 इसका अर्थ है:
Higher Inflation → Higher Interest → Lower Consumption & Investment → Slower Economy
📉 Inflation का Impact on National Income
High Inflation → Lower Disposable Income
Low Consumption → Low Demand → Slow GDP Growth
Policies जैसे Repo Rate Hike, Cash Reserve Ratio (CRR) बदलाव किए जाते हैं इसे संतुलित करने के लिए
✅ इसलिए, Inflation को नियंत्रित करना जरूरी है ताकि:
Purchasing Power बनी रहे
Consumption और Investment संतुलित रहे
और National Income स्थिरता से बढ़े
🔚 निष्कर्ष (Conclusion)
Inflation और Interest Rates केवल Price Tag की बातें नहीं हैं। ये Indicators होते हैं कि Economy कहाँ जा रही है।
CPI और WPI जैसे सूचकांक हमें यह बताने में मदद करते हैं कि National Income की ताकत कितनी है और कैसे Government और RBI अपने Tools का इस्तेमाल कर रही हैं।
अगर Inflation बहुत ज़्यादा हो, तो आम आदमी की जेब पर असर होता है और Economy की गति धीमी पड़ सकती है।
➡️ यही कारण है कि National Income की Planning में Inflation और Interest Rate को बराबर प्राथमिकता दी जाती है।