फॉरवर्ड लेनदेन क्या होता है? (What is a Forward Transaction?)

 क्या होते हैं Forward Transactions? जानिए एक Practical उदाहरण के साथ

Financial Markets में कई ऐसे लेन-देन होते हैं जो "आज डिसाइड, भविष्य में डिलीवर" के कॉन्सेप्ट पर काम करते हैं। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण टूल है — Forward Contract। यह खासकर उन लोगों और बिज़नेस के लिए ज़रूरी होता है जो कीमतों में संभावित उतार-चढ़ाव से खुद को बचाना चाहते हैं।


Forward Transaction एक ऐसा समझौता होता है जिसमें दो पक्ष (Buyer & Seller) आज इस बात पर सहमत होते हैं कि वे किसी Future Date पर एक निश्चित Price पर कोई Underlying Asset (जैसे गेहूं, सोना, मुद्रा, स्टॉक आदि) खरीदेंगे या बेचेंगे।

📌 यह एक Over-the-Counter (OTC) Contract होता है – यानी यह किसी एक्सचेंज पर नहीं, बल्कि दो पक्षों के बीच आपसी सहमति से होता है।

📌 इस प्रकार का Contract पूरी तरह से Customized होता है – जैसे:

  • Quantity

  • Quality

  • Delivery Date

  • Settlement Mode (Cash/Physical)

  • Price


एक Practical Example – किसान और मिलर

मान लीजिए एक किसान को 6 महीने बाद अपनी गेहूं की फसल तैयार होनी है। वह अभी ही एक Flour Mill के साथ यह डील करता है कि:

  • वह 6 महीने बाद 1,000 क्विंटल गेहूं सप्लाई करेगा

  • ₹2,000 प्रति क्विंटल की तय कीमत पर

  • Quality और Payment Terms भी आज ही तय कर ली जाती हैं

यह पूरा arrangement एक Forward Contract कहलाता है।


Settlement कैसे होता है?

Forward Contracts में दो तरीके से Settlement हो सकता है:

  1. Physical Settlement – किसान गेहूं की actual delivery करता है और miller उसका payment करता है।

  2. 💰 Cash Settlement – दोनों पक्ष गेहूं की actual delivery नहीं करते, बल्कि मार्केट प्राइस और फॉरवर्ड प्राइस के बीच का अंतर सेट करते हैं। उदाहरण:

    • अगर actual market price ₹2,200 निकली, तो miller ₹200/क्विंटल का लाभ farmer को देता है।


Forward Contracts की Key विशेषताएं

Features Explanation

🔄 Customization

Contract पूरी तरह से Buyer-Seller की सहमति पर आधारित

🧾 Legally Binding

दोनों पक्षों को भविष्य में डील फॉलो करनी होती है

🏦 OTC Deal

Exchange पर नहीं होता, बल्कि privately negotiated होता है

⚠️ Counterparty Risk

कोई भी पक्ष अपनी commitment नहीं निभा सकता, इसका risk रहता है


Counterparty Risk क्या है?

जैसे कि ऊपर बताया गया, OTC contracts में दोनों पक्षों को एक-दूसरे पर Trust करना होता है।

👉 यदि किसान फसल न उगा पाए या miller payment न करे, तो Contract टूट सकता है।
👉 इसीलिए यह बहुत ज़रूरी है कि Forward Contracts उन पक्षों के बीच हों जिन्हें एक-दूसरे पर भरोसा हो।


भारत में Forward Markets की स्थिति

भारत में कई कमोडिटी मार्केट्स, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, अब भी Forward Basis पर ही Operate करते हैं। वहां पर:

  • लिखित समझौते नहीं होते, लेकिन

  • आपसी विश्वास और सामाजिक दबाव के कारण लेन-देन पूरे किए जाते हैं

  • यह informal system functional है लेकिन Risky भी होता है


Forward vs Futures: क्या अंतर है?

Factor Forward Contract Futures Contract

Nature

Private, OTC Deal

Standardized, Exchange-Traded

Customization

पूरी तरह संभव

नहीं, सब fixed terms होते हैं

Settlement

Physical या Cash

ज्यादातर Cash

Counterparty Risk

High

Low (क्योंकि clearing house होता है)

Regulation

Unregulated

Regulated by SEBI (in India)


किन लोगों को Forward Transactions का लाभ होता है?

Farmers – भविष्य की कीमतें तय करके uncertainty से बच सकते हैं
Exporters/Importers – Currency risk को hedge कर सकते हैं
Corporates – Raw material के future cost को stabilize कर सकते हैं
Investors – Speculation या arbitrage strategy बना सकते हैं


निष्कर्ष (Conclusion)

Forward Transactions एक ताकतवर financial tool है जो users को price fluctuation से बचाता है। लेकिन चूंकि ये contracts OTC होते हैं और trust पर आधारित होते हैं, इसलिए Counterparty Risk बहुत ज़रूरी factor बन जाता है।

यदि आप किसी asset में future exposure या transaction की प्लानिंग कर रहे हैं, तो Forward Contracts एक अच्छा तरीका हो सकता है – बशर्ते आपने सही पार्टी के साथ सौदा किया हो।


क्या आप Forward या Futures Market के बारे में और जानना चाहते हैं?

📩 कमेंट करें या संपर्क करें – हम आपके financial ज्ञान को और मजबूत बनाने में आपकी मदद करेंगे।



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