व्यवस्था की योजना (Scheme of Arrangement): कंपनी के पुनर्गठन की प्रक्रिया

 🏢 कभी-कभी कंपनियाँ अपने ऋणदाताओं (Lenders) या शेयरधारकों (Shareholders) के कुछ वर्गों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने में असमर्थ हो जाती हैं। उदाहरण के लिए, Preference Shareholders को समय पर भुगतान न कर पाना। ऐसी स्थिति में कंपनी, उसके लेनदारों और सदस्यों के बीच विवाद को सुलझाने के लिए व्यवस्था की योजना (Scheme of Arrangement) बनाई जाती है।


व्यवस्था की योजना क्या है?

Scheme of Arrangement एक कानूनी प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपनी पूंजी संरचना (Capital Structure) का पुनर्गठन करती है। यह योजना न्यायालय या प्राधिकरण की निगरानी में पूरी की जाती है ताकि सभी पक्षों के हितों का संरक्षण हो सके।

इसमें हो सकता है:

  • मौजूदा शेयरधारकों द्वारा अपने स्वामित्व का हिस्सा छोड़ना (Giving up Ownership)

  • शेयरों के वर्ग (Class) का समेकन (Consolidation) या विभाजन (Subdivision)

  • कंपनी की देनदारियों का पुनर्गठन (Debt Restructuring)


व्यवस्था की योजना की कानूनी प्रक्रिया

कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 230 के तहत, कंपनी या उसके लेनदार / सदस्य न्यायालय में व्यवस्था की योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इस प्रक्रिया के मुख्य चरण हैं:

  1. कंपनी या संबंधित पक्ष राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) से संपर्क करता है।

  2. एनसीएलटी कंपनी, उसके लेनदारों और सदस्यों के बीच समझौता करने के लिए बैठक का आदेश देता है।

  3. सभी पक्षों की मंजूरी मिलने पर योजना को लागू किया जाता है।

  4. न्यायाधिकरण की अंतिम मंजूरी के बाद योजना कानूनी रूप से बाध्यकारी हो जाती है।


क्यों आवश्यक है व्यवस्था की योजना?

  • ऋण पुनर्गठन: कंपनी अपने कर्ज को सही तरीके से संभाल पाती है।

  • स्वामित्व और पूंजी संरचना का पुनर्गठन: शेयरधारकों और लेनदारों के हितों को संतुलित किया जाता है।

  • विवाद समाधान: कंपनी और उसके कर्जदाताओं के बीच विवाद सुलझ जाता है।

  • व्यापार को पुनर्जीवित करना: आर्थिक मुश्किलों में फंसी कंपनी को पुनः सशक्त बनाना।


व्यवस्था की योजना का लाभ

  • कंपनी की वित्तीय स्थिति में सुधार।

  • लेनदारों को भुगतान की सुनिश्चितता।

  • शेयरधारकों के हितों की रक्षा।

  • कंपनी के कारोबार का निरंतरता।


निष्कर्ष (Conclusion)

Scheme of Arrangement कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी उपाय है जो उनके वित्तीय संकट को दूर करने और भविष्य में स्थिरता लाने में मदद करता है।
यह प्रक्रिया सभी पक्षों के हितों को संतुलित करते हुए कंपनी के पुनर्गठन को संभव बनाती है।


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